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प्रश्न–1क. सत्य असत्य (अंक-1)
- ‘चिन्तामणि’ रामचन्द्र शुक्ल का निबंध सग्रह है।
- ‘गुनाहों के देवता’ धर्मवीर भारती का उपन्यास है।
- ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ राहुल साकृत्यायन की कृति है।
- ‘तारसप्तक का सम्पादन’ अज्ञेय ने किया था।
- ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ हजारी प्रसाद द्विवेदी का उपन्यास है।
प्रश्न–1(ख). रचना और लेखक (अंक-1)
प्रेमचन्द्र, जयशंकर प्रसाद, धर्मवीर भारती, हरिवंश राय, महादेवी वर्मा और रामधारी सिंह दिनकर की मुख्य रचनाएँ याद रखे (जैनेन्द्र कुमार – त्यागपत्र/हजारी प्रसाद-कुटुज, अशोक के फूल / फणीश्वर नाथ रेणु – मैला आंचल / राहुल सांस्कृत्यन – अथातो घुमक्कड़ & मेरी तिब्बत यात्रा
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प्रश्न-1ग, घ,ड. पत्रिका, उपन्यास, विधा, एकाकी गद्य, कहानी, निबंध, नाटक (अंक-3)
पत्रिका- सरस्वती-महावीर, हंस-प्रेमचन्द्र, कविवचनसुधा-हरिश्चन्द्र, हिन्दी प्रदीप-बालकृष्ण भट्ट नागरी प्रचारिणी रामचन्द्र शुक्ल ।
विधा- मेरी तिब्बत यात्रा (यांत्रा वृतांत), मेरी जीवन यात्रा (आत्मकथा), अवारा मसीहा (जीवनी), स्मृति की रेखाए (रेखाचित्र)।
कार (निबन्धकार-रामचन्द्र / उपन्यासकार प्रेमचन्द्र / कहानीकार जयशंकर / एकांकीकार-रामकुमार/नाटककार उपेन्द्रनाथ अश्क)
प्रथम (कहानी-इन्दुमती/उपन्यास-परीक्षागुरू/नाटक-नुहुष / गद्य-चन्द्र घंद)
प्रश्न-2 क, ख, ग पद्य परिचय (काल कवि रचना) (अंक-5)
(आदि, वीरगाथा काल-चंदबरदाई-पृथ्वीराज रासो, जगनिक-परमाल रासो),
(भक्तिकाल कबीर-बीजक, तुलसीदास रामचरितमानस)
(रीतिकाल बिहारी-बिहारी सतसई, भूषण-शिवराज भूषण)
(छायावाद जयशंकर, महादेवी)
(प्रगतिवाद सूर्यकान्त, दिनकर)
प्रश्न-3(क) गद्य खंड की व्याख्या (अंक-2+2+2)
गंद्याश – मित्रता… है
संदर्भ – प्रस्तुत गंद्याश हमारी पाठ्य पुस्तक हिन्दी के गद्य खण्ड में संकलित मित्रता नामक पाठ से लिया गया है। जिसके लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी है। 4/15
व्याख्या –
1-मित्रता-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल 2-ममता-जयशंकर प्रसाद 3-क्या लिखूँ-पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी 4-भारतीय संस्कृति-डा0 राजेन्द्र प्रसाद 5- ईष्या तु न गई मेरे मन से-रामधारी सिंह दिनकर 6-अजन्ता-डा0 भगवत शरण उपाध्याय 7-पानी में चंदा चाँद पर
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प्रश्न-4 (क) पद्य खंड की व्याख्या (अंक-1+4+1)
पद्याश – उदित उदय गोसाई
संदर्भ-प्रस्तुत पद्याश हमारी पाठ्य पुस्तक हिन्दी के काव्य खण्ड में संकलित धनुष भंग नामक पाठ से लिया गया है। जिसके लेखक तुलसीदास जी है।
काव्यगत सौंदर्य – भाषा साहित्यिक, ब्रज, अवधी रस-भक्ति, अद्भुत, वात्सल्य शब्द शक्ति- लक्षणा, व्यंजना
छंद-गेय पद
शैली – मुक्तक, प्रबंध, चित्रात्मक, अलंकार उपमा रूपक, उत्प्रेक्ष गुण- प्रसाद, माधुर्य ओज
व्याख्या -1-पद-सूरदास 2-धनुष-भग, वन पथ पर तुलसीदास 3- सवैया, कवित्त-रसखान 4-भक्ति, नीति-बिहारीलाल 5- चीटी, चन्द्रलोक में प्रथम बार सुमित्रानन्दन पंत 6-हिमालय से, वर्षा सुन्दरी के प्रति-महादेवी वर्मा 7- स्वदेश प्रेम-रामनरेश त्रिपाठी 8-पुष्प की अभिलाषा, जवानी-माखनलाल चतुर्वेदी 9- झाँसी की रानी की समाधि पर-सुभद्रा कुमारी चौहान 10-बढ़ अकेला-त्रिलोचन शास्त्री 11-नदी-केदार नाथ सिंह 12-युवा जंगल, भाषा एक मात्र अनन्त है-अशोक वाजपेयी
प्रश्न-5(क) गद्य जीवन परिचय (अंक-2+1)
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय
जीवन परिचय- जयशंकर प्रसाद का जन्म सन 1889 ई० में वाराणसी के प्रसिद्ध सूँघनी साहू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम देवी प्रसाद था जो कवि और उच्च कोटि के विद्वान थे। प्रसाद जी 9 वर्ष की आयु में कविता करना प्रारम्भ कर दिये।
प्रसाद जी का परिवारिक जीवन सुखमय नहीं था।
बचपन में ही इनके माता पिता और बड़े भाई का देहान्त हो जाने के कारण स्कूली शिक्षा अधिक नहीं हो सकी और परिवार का सारा बोझ इनके कंधो पर आ गया। इसी बीच इनकी पत्नी का देहान्त हो गया किन्तु विषम परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए इन्होंने साहित्य साधना का कार्य जारी रखा। चिन्ताओं ने शरीर को जर्जर कर दिया और ये अन्ततः क्षय रोग के शिकार हो गए। माँ भारती का यह अमर गायक जीवन के केवल 48 बसन्त देखकर 15 नवम्बर सन 1937 को स्वर्ग सिधार गया।
जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्यकोश के उज्ज्वल नक्षत्र है। वह कुशल साहित्यकार और बहिमुखी
प्रतिभा वाले व्यक्ति थे उनकी पारस रूपी लेखनी साहित्य के जिस विधा से भी स्पर्श हो गया वहीं कंचन बन गया | रचना- ध्रुवस्वामिनी (नाटक)
रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय।
जीवन परिचय – परिचय आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म बस्ती जिले के मंगोना नामक गांव में सन् 1884 में हुआ था। इनके पिता का नाम चन्द्रवलि शुक्ल था। जो अरबी, फारसी भाषा के प्रेमी थे। इण्टर की परीक्षा पास करने के बाद मिर्जापुर के मिशन स्कूल में कला अध्यापक हो गये। अध्यापन कार्य करते हुए हिन्दी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेजी साहित्य का गहन अध्ययन किया जो आगे चलकर बढ़ा उपयोगी सिद्ध हुआ। इनकी कुशाग्र बुद्धि और साहित्य सेवा से प्रभावित होकर सन् 1908 में काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने इनको हिन्दी शब्द सागर के सह-सम्पादक का कार्य भार सौंप दिया जिसे बड़ी कुशलता से निभाया।
इन्होंने काफी समय तक नागरी प्रचारिणी पत्रिका का सम्पादन किया तथा कुछ समय काशी विश्वविद्यालय में हिन्दी के अध्यापक रहे। सन् 1936 में बाबू श्याम सुन्दर दास के अवकाश ग्रहण करने पर हिन्दी विभाग के अध्यक्ष नियुक्त किये गए अपने सम्पूर्ण जीवन काल में बड़ी तत्परता के साथ हिन्दी साहित्य की सेवा की। साँस रोग से पीड़ित होने के कारण हृदय गति रुक जाने से सन् 1941 में इनका देहावसान हो गया। रचना-विचार-वीधी (निबंध)
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प्रश्न-5 (ख) पद्य जीवन परिचय (अंक-2+1)
तुलसीदास का जीवन परिचय।
जीवन परिचय- गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन् 1491 ई0 माना जाता है। इनके पिता का नाम आत्माराम दूबे और माता का नाम हुसली था। ये सरयुपारीण ब्राहम्ण थे। कहा जाता है कि मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण इनके माता पिता ने इनका परित्याग कर दिया था। इस कारण इनका बचपन बड़े कष्ट से व्यतीत हुआ।
तुलसीदास का विवाह दीनबंधु पाठक की सुन्दर कन्या रत्नावली के साथ हुआ। एक दिन रत्नावली इनकी अनुपस्थिति में मायके चली गयी, जब मिलने के लिए आधी रात को पत्नी के पास पहुंचे तो रत्नावली फटकराते हुए कही-‘लाज न आयी आपको दौरे आयेहु साथ
पत्नी की यह बात तुलसी के हृदय में ऐसी लगी कि उनका मन संसार से विमुख हो गया और सन्यासी होकर राम की भक्ति में ऐसे लीन हुए कि तुलसी से तुलसीदास हो गए- सब कहे तुलसी तुलसी, तुलसी है एक घास। राम नाम के जप कर, हो गए तुलसीदास ।।
इस प्रकार राम भक्ति और काव्य रचना में रत रहते हुए सन् 1623 ई० में काशी के अस्सी घाट पर इनका स्वर्गवास हो गया। रचना- रामचरितमानस
सुमित्रांनन्दन पंत का जीवन परिचय।
जीवन परिचय- सुमित्रानन्दन पंत का जन्म 20 मई सन् 1990 ई0 को अल्मोड़ा जिले के अन्तर्गत कौसांबी नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम गंगादत्त था। जन्म के कुछ घण्टे के बाद इनके माता जी का देहावसान हो गया। इनके बाल्यकाल का नाम गुसाईदत्त था। प्रारम्भिक शिक्षा गांव में पूर्ण करने के बाद काशी से हाईस्कूल तथा प्रयाग के म्योर सेण्ट्रल कालेज से आगे की पढ़ाई की।
1921 ई0 के महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन के कारण अध्ययन बीच में रूक गया और स्वाध्याय से अंग्रेजी और बंगला का अध्ययन किया। भारत सरकार ने इनको पद्म भूषण की उपाधि से सम्मानित किया। सन् 1965 में उ.प्र. सरकार ने लोकपतन पर दस हजार रूपये का पुरस्कार दिया। हिन्दी साहित्य ने इनको साहित्य वाचस्पति से सम्मानित किया। सन् 1989 में चिदम्बरा पर आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। आप आकाशवाणी के निदेशक भी रहे। आपका निधन 28 दिसम्बर 1977 ई0 को इलाहाबाद में हुआ।UP Board Class 10th Hindi Model Paper
प्रश्न-6- संस्कृत गद्य का अनुवाद (अंक-1+3)
गंद्याश-प्रस्तुत गंद्यास हमारी पाठ्य पुस्तक हिन्दी के संस्कृत खण्ड में संकलित वाराणसी नामक पाठ से लिया गया है।
- वाराणसी 2. अन्योक्तिविलासः 3. वीरः वीरेण पूज्यते 4. प्रबुद्धो ग्रामीणः ऽदेशभक्त चन्द्रशेखरः 6. केन किं वर्बते 7 अन्तरिक्ष यात्रा 8 भारतीय संस्कृति 9 जीवन सूत्राणि
संस्कृत श्लोक का हिन्दी में अनुवाद।
क-मरण मंगलम् केन मीयते।
अर्थ- जहाँ मरना भी कल्याणकारी है, जहाँ भस्म भी आभूषण है, जहाँ कौपीन भी रेशमी होती है. उस काशी को किससे मापा जा सकता है अर्थात किससे तुलना की जा सकती है।
ख- बन्धनं मरणं. वीरभावो हि वीरता।
अर्थ-पुरुराज कहते है कि हे यवनराज। बंधन हो अथवा मृत्यु, जय हो या परायज, वीर पुरूष दोनों स्थितियों में समान होता है। वीर भाव को ही वीरता कहते हैं।
ग-उत्तर यत् समुद्रस्य भारती यत्र सन्ततिः ।
अर्थ- मरने पर स्वर्ग पाओगे या जीतकर पृथ्वी का भोग करोगें इसलिए चिन्ता रहित निराशा और मोह रहित होकर युद्ध करो।
घ-आपदो दुरगामी जानसि स पण्डितः।
अर्थ-उसके पैर नहीं किन्तु दूर चला जाता है। अक्षरों सहित है किन्तु पण्डित नहीं है। उसका मुख नहीं है किन्तु साफ-साफ बोलता है। इसे जो जानता है वही पण्डित है।
ड- सर्वे भवन्तु सुखिन दुख भाग मवेत्।
अर्थ- सब सुखी हो। सब रोग रहित हो। सबका कल्याण हो। कोई भी दुखित न हो।
च-न वै ताडनात तोलयन्ति।
अर्थ- सोना कहता है कि मैं पीटे जाने, अग्नि में गर्म करने और बेचे जाने से दुःखी नहीं हूँ। मुझे एक मुख्य दुःख यही है कि मुनुष्य मुझे रत्ती से तौलते है।
छ-रात्रि गमिष्यति. ….गज उज्जहार।
अर्थ- कमल की कली में बंद एक भैवरा सोचता है-रात्रि बीत जायेगी, सुन्दर प्रातःकाल होगा, सूर्य निकलेगा और कमल खिल जायेगा इस प्रकार सोच ही रहा था कि अचानक उसी समय
एक हाथी ने कमल को उखाड़ फेंका।
ज-किस्विद् गुरुतर ..बहुतरि तृणाम।
अर्थ-पृथ्वी से मारी कौन है, आकाश से ऊँचा कौन है, वायु से तीव्रगामी कौन है, और तिनके से अधिक धना कौन है।
माता पृथ्वी से भारी है पिता आकाश से ऊँचा है मन वायु से तीव्रगामी है और चिंता तिनके से बढ़कर घनी है।
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प्रश्न-7ख-संस्कृत प्रश्न उत्तर (अंक-1+1)
1 पदेन बिना किं/पत्रं दूरं याति
2 प्रहेलिकायाः उत्तरं किम्/पत्र आसीत्।
3 वाराणसी नगरी कुत्र / गंगायाः कूले स्थिताः आस्ति।
4 वाराणसी नगरी केषां / विविधधर्माणा संगमस्थली अस्ति।
5 वीरः केन / वीरेण पूज्यते।
6 अलक्षेन्द्रः यवनराजः/पुरुराजः भारतवीरः /अलक्षेन्द्रेण सह ।
7 स्वगृह कारागार / स्वनाम आजाद / कः प्रसिद्धः क्रांतिकारी च देशभक्त।
8 सुवधनेन मैत्री / दानेन कीर्तिः/विद्या अभ्यासनेन ।
9 इन्दुदर्शनेन समुद्रः/पुत्र दर्शनेन हर्षः।
10 भारतीयाः संस्कृतिः कीदृशी / गतिशीला वर्तते।
11 माता भूमि/पिता खात्/मनः वातात्।
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प्रश्न-8 (क) रस परिभाषा उदाहरण (अंक-1+1)
हास्य रस-किसी व्यक्ति के विकृत रूप, आकार, वेशभूषा आदि को देखकर हृदय जब प्रसन्नता का भाव उत्पन्न होता है यहाँ हास्य रस होता है।
उदाहरण- बुरे समय को देखकर, गंजे तू क्यों रोये।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाका होय।।
करुण रस-शोक नाम का स्थायी भाव जब विभाव अनुभाव और संचारी भावो से संयोग करता है वहाँ करूण रस की निष्पति होती है।
उदाहरण- ऊधौ मोहि ब्रज बिसरत नाहीं।
वृंदावन गोकुल वन उपवन सघन कुंज की छाहीं।।
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प्रश्न-8 (ख) अलंकार परिभाषा उदाहरण (अंक-1+1)
उपमा अलंकार-जब एक वस्तु के निकट समान गुण धर्म वाली दूसरी वस्तु को
रखकर दोनों में समानता प्रतिपादित किया जाता है तो वहां पर उपमा अलंकार होता है।
उदाहरण- उल्का-सी रानी दिशा दीप्त करती थीं।
उत्पेक्षा अलंकार-जहाँ प्रस्तुत में अप्रस्तुत की सम्भावना व्यक्त किया जायें वहीं पर
उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण-सिर फट गया उसका मानों अरूण रंग का घड़ा
रूपक अलंकार-उपमेय में तपमान के निषेध रहित आरोप को रूपक अलंकार कहते है। उदाहरण- पायों जी मैंने राम रतन धन पायों।
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प्रश्न-8 (ग) छंद परिभाषा उदाहरण (अंक-1+1)
रोला छद के लक्षण यह मांत्रिक सम छंद है। जिसमें 8 चरण होते है. प्रत्येक चरण में 11 और 13 के विराम से 24 मात्राएं होती है।
उदाहरण-जीती जाती हुई, जिन्होनें भारत बाजी
निज बल से बल मेट, विधर्मी मुगल कुराजी।
जिनके आगे ठहर, सके जंगी न जहाजी
ये हैं वहीं प्रसिद्ध, छत्रपति भूप शिवाजी।।
सोरठा छंद के लक्षण-सोरठा अर्द्धसम मात्रिक छंद है इसमें चार चरण होते हैं, प्रथम एवं तृतीय चरण में 11-11 मात्राएं तथा द्वितीय तथा चतुर्थ चरण में 13-13 मांत्राएं होती है। यह दोहे का उल्टा होता है।
उदाहरण- जेहि सुमिरत सिधि होइ, गणनायक कविवर बदन।
करहु अनुग्रह सोइ, बुद्धिरासि सुभ-गुन-सदन।।
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प्रश्न-9(क) उपसर्ग शब्द (अंक-1+1+1)
अन-अनमोल, अनु-अनुग्रह, आ-आमरण, अप-अपयश, निर-निर्भय अधि-अधिकृत प्र-प्रज्वलित, उप-उपनिवेश, परि-परिक्रमा, अ-अहिंसा सु-सुयश अभि-अभिमान
प्रश्न-१(ख) प्रत्यय शब्द (अंक-1+1)
त्व-अपनत्व, पन-बचपन, वट-सजावट ता-सफलता, ईय-माननीय, हट-घबराहट
प्रश्न-७(ग) समास-विग्रह (अंक-1+1)
शब्द- समास-विग्रह- समास नाम
राजपुत्र- राजा का पुत्र -तत्पुरुष समास
द्विगु (संख्या)-चौराहा, त्रिदेव पंचतत्व, अष्टकोण, त्रिभुज, पंचवटी
बहुव्रीहि (अलग अर्थ)–चतुर्भुज, त्रिनेत्र, लम्बोदर, चन्द्रशेखर, पीताम्बर, गजानन
कर्मधारय (विशेषता)-नीलकमल, पीताम्बर, महापुरुष, नीलाम्बर, महाकवि, घनश्याम
द्वंद- (बराबर शब्द) माता-पिता, भाई-बहन, दिन-रात, जीवन-मरण
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प्रश्न-9 (घ) शब्द तत्सम (अंक-1+1)
गाँव-ग्राम, दूध-दुग्ध, आँसू-अश्रु ऊट-उष्ट्र, घी-घृत, तालाब-तड़ाग, ओठ ओष्ठ, कुँआ-कूप, रात-रात्रि पाख-पक्ष, बहन-भगिनी, मौत-मृत्यु, हाथ-हस्त, कपूर-कर्पूर, ईख-इसु चैत-चैत्र दात-दन्त, कबूतर कपोत, कौआ-काक, निदुर-निष्ठुर भगत-भक्त, नाक-नासिका, पैर-पाद, बन्दर-वानर मनुष्य-मानव, भौरा-भम्रण, सूरज-सूर्य, सूखा-शुष्क
प्रश्न-9 (ड)- शब्द पर्यायवाची (अंक-1+1)
1-गाय-धेनु गौ। हाथी-गज, कुंजर। हंस-मराल, कलहंस। हिरण-कुरंग, मृग। साँप-विषधर, मुजंग। सिंह-शेर, मृगेन्द्र। बंदर कपि मर्कट। मछली-मीन, मत्सय। मोर-मयूर, कलापी। भ्रमर-भूग, मधुकर। कोयल-कोकिल, पिक। पक्षी-खग, विहग।
2-आग-पावक, अनल। वायु-समीर, अनिल। पृथ्वी-अवनि, धरा। जल-सलिल, नीर। आकाश-अम्बर, गगन। अन्धकार-तम तिमिर। प्रकाश-आलोक, ज्योति। रात-निशा, विभावरी। सूरज-आदित्य, रवि। चाँद-शशि, मंयक।
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प्रश्न-10 (क) संधि, संधि का नाम (अंक-1+1)
वृद्धि संधि (मात्रा बढ़ना) सदैव तथैव, एकैक, तत्रैव, तदैव बसुधैव, जलौज, महौषधि।
यण संधि (२ / इय, उव) प्रत्येक, स्वागतम, इत्यादि, मध्वरि, मात्राज्ञा, प्रत्युपकार ।
प्रश्न-10(ख) शब्द रूप (अंक-1+1)
गुरू राम, नदी, रामा, फल, अस्मद, युष्मद, स. सा।
विस्तार पूर्वक जानने हेतु संस्कृत नोट्स मे प्रश्न संख्या 10 का का अध्ययन करे |
प्रश्न-10 (ग) धातु रूप (अंक- 1/2+1/2+1/2+1/2)
शब्द-धातु-लंकार-पुरूष-वचन।
विस्तार पूर्वक जानने हेतु संस्कृत नोट्स मे प्रश्न संख्या 11 का अध्ययन करे |
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प्रश्न संख्या–10(घ) संस्कृत अनुवाद (अंक-1+1)
प्रश्न संख्या – 11 निबंध (अंक 6)
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प्रश्न-12 खंड काव्य (अंक-3)
कर्ण का चरित्र चित्रण।
उत्तर-कर्ण खष्ठ काव्य जिसके लेखक श्री केदारनाथ मिश्र जी है इस खण्ड काव्य का नायक महाभारत का अविजित योद्धा कर्ण है। कर्ण की वीरता और उसके करूण पक्ष का वर्णन करना ही कवि का मुख्य उद्देश्य है उनकी चारित्रिक विशेषताए निम्न है-
क. अद्वितीय दानी-कर्ण अपनी दानी प्रवृत्ति के कारण प्रसिद्ध था इसका प्रत्यक्ष उदाहरण कपटी इन्द्र को अपना कवच कुण्डल प्रदान करना है।
ख अद्वितीय तेजवान-कर्ण सूर्य का पुत्र है और स्वभावतः तेजस्वी है उसका कमल के समान मुख राजकुमारों की शोभा का हरण करने वाला है।
ग. ममता और स्नेह से वंचित- कर्ण जीवन भर परिवार और गुरूजनों के स्नेह से वंचित रहा उसका हृदय सदा माँ की ममता पाने को तरसता रहा।
घ. विवेकी और कृतज्ञ- कृष्ण द्वारा समझाने के बाद भी कर्ण ने अपने उपकारी मित्र दुर्योधन से छल करना उचित नहीं समझा और हमेशा साथ दिया।
उपरोक्त विवेचन से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि कर्ण जीवन भर अपने विचार और भाग्य से संघर्ष करता रहा। यह सिद्धांतवादी होते हुए भी बड़े अन्याय पूर्वक मारा गया।
कुन्ती का चरित्र चित्रण।
उत्तर- कुन्ती के चरित्र को हम निम्न बिन्दुओं से समझ सकते है-
क. अभिशप्त मी-इस खण्ड में प्रारम्भ से ही एक अपमानित माँ के रूप में कुन्ती का चरित्र चित्रण किया गया है उसके अन्दर अपने नवजात शिशु के प्रति हृदय में ममता का बाढ़ उमड़ पड़ता है लेकिन सामाजिक मर्यादा को ध्यान में रखकर अपने पुत्र को गंगा नदी की धारा में बिना मोह किए बहा देती है।
व एक दुखिया माँ इस खण्ड काव्य में कुन्ती को एक दुखित माता के रूप में दिखाया गया है उसके पुत्र पाण्डवों को राज्य न मिलने के कारण कौरवों से युद्ध करना पड़ा दूसरी ओर कर्ण से अपनी घटना का विस्तार का वर्णन करती है फिर भी कर्ण इस तथ्य को स्वीकार नहीं करता इस प्रकार कुन्ती हर तरीके से दुःख पाती है।
ग. चिन्तित माँ-जब कर्ण के प्रतिज्ञा को कुन्ती स्मरण करती है तो उसे बहुत चिन्ता सताने लगती है अपने पुत्र पांण्डयों की रक्षा हेतु उसका प्रेम फिर उमढ़ता है और यह कर्ण से तिरस्कृत होती है अन्त में उसका वात्सल्य रोके नहीं रुकता। सचमुच कुन्ती परिस्थितियों की मारी एक सच्बी माँ है जो अपनी ममता को दफना कर भी नहीं दफना पाती है।
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