नेहरू युवा केंद्र बलिया तथा युवा सेवा संस्थान हरिहा कलां के तत्वाधान में युवा संवाद@2047 कार्यक्रम का आयोजन किया गया इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए पंच प्रण विकसित भारत का निर्माण ,गुलामी की हर शौच से मुक्ति, विरासत पर गर्व ,एकता एकजुटता तथा नागरिक कर्तव्य पर एसएसबी विद्यापीठ कुसौरी कलां में छात्र-छात्राओं ने युवा संवाद प्रस्तुत किया । बहुत से छात्र छात्राओं द्वारा अपने अभिभाषण दिए गए किए गए संवाद के पूर्व कार्यक्रम का प्रारंभ मुख्य अतिथि सांसद माननीय रविंद्र कुशवाहा ने दीप प्रज्वलित कर किया | तत्पश्चात कुमारी नेहा सरस्वती वंदना गया मां शेरावाली को याद किया अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था के साथियों द्वारा सभी आगंतुक और तिथियां को माला अर्पण तथा वैसे लगाकर किया कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए नेहा चौहान युवा संवाद कार्यक्रम के अपने संबोधन में कहा कि आज का युवा कल का भविष्य है तथा आज आवश्यकता है हम लोगों को अपने कार्यों के माध्यम से इस देश की विश्व गुरु की दशा में ले जाने का और यह तभी संभव है जब हम लोग अपने इस आज के समय का सदुपयोग करें अगर आज हम इस शिक्षक के अवसर से वंचित हो जाते हैं तो हम समझ में कहीं भी विलुप्त हो जाएंगे और हम आगे की दिशा में नहीं बढ़ पाएंगे चाहे वह युवा हो या युति हम सभी को मन लगाकर शिक्षक ग्रहण कर आगे डॉक्टर इंजीनियर सिपाही बढ़ पाएंगे चाहे वह युवा हो या अप आदि बनाकर इस मातृ भूमि और लोगों की सेवा करें और अपने साथ ही साथ देश के विकास में अपना योगदान दें युवाओं को उच्च अस्त्र की शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता है जिससे वह विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान दे सके आज भारत 2030 प्रतिशत युवा है किसी भी राष्ट्र को विकसित से विकसित बनाने में युवाओं को योगदान रहा तो राष्ट्र प्रगति विज्ञान प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य प्रबंधन और अन्य क्षेत्रों के विकास पर निर्भर करती है । कार्यक्रम की अगली कड़ी में सूरज यादव नई युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी लाल किले से संबोधन में जिस तरह से स्वाधीनता के 77 वर्ष का उल्लेख करते हुए देशवासियों द्वारा कालखंड में विभिन्न चुनौतियों के बीच अपने परंपराओं संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत से जुड़े रहने का उल्लेख किया उसे स्पष्ट है की विरासत या प्रेरणापुंज है जो युवा पीढ़ी की नई भारत के निर्माण के लिए आवश्यक संकल्प ऑन की सिद्धि में सहायक होगा स्वाधीनता के सत्ता वर्ष पूर्ण होने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के उद्बोधन में अमृत कल की परिकल्पना की और पांच संकल्प दिए यह मंत्र है जो विकसित भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेंगे इन पांच प्राणों में विरासत पर गौरव उल्लेख किया गया इसके निर्यात को समझ है हम सभी जानते हैं कि कोई भी देश तब तक विकास के पद पर अग्रसर नहीं हो सकता है जब तक वह अपनी विरासत को भेजना नहीं जानता हम कौन हैं हमारी मान्यता क्या है हमारी कल क्या है हमारी संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत ही वह माध्यम है जो हमें इन सवालों को जवाब देती है औरों से अलग पहचान दिलाती है यही वह माध्यम है जो हमें पूर्वजों के ज्ञान को जानने समझने और आत्मसात करते हुए भविष्य की चुनौतियों से लड़ने और उन पर विजय हासिल करने का बाल प्रदान करती है हमें नहीं भूलना चाहिए कि भारत ने ही विश्व को शून्य क्या ज्ञान दिया चिकित्सा की बात करें तो ऋषि सुश्रुत व चरक संहिता भारत की ही देन है अध्ययन अध्यापन के मोर्चे पर 10 शीला नालंदा भारत में ही स्थापित ज्ञान के केंद्र है ऐसे अनेक उदाहरण हमारे समझ उपलब्ध हैं जो भारतीय विरासत को गौरव का अनुभव करते हैं आज भारत सुपर पावर बनने की दशा में अग्रसर है
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